नेपाल विमान हादसे में मारे गए यूपी के चार युवक पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए गए थे, ‘क्रैश के समय FB पर थे लाइव’- प्रेस रिव्यू

नेपाल के पोखरा में रविवार को हुए विमान हादसे में मारे जाने वालों में पांच भारतीय भी थे. इनमें से चार उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर के रहने वाले थे और काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए थे.
रविवार को पोखरा हवाई अड्डे के पास विमान क्रैश होने से 68 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. विमान में 68 यात्री और चालक दल के चार सदस्य सवार थे.
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने इन पांच में से चार के बारे में जानकारी दी है. रिपोर्ट के अनुसार, येती एयरलाइंस के विमान हादसे में मारे गए पांच भारतीयों में अभिषेक कुशवाहा, विशाल शर्मा, अनिल कुमार राजभर और सोनू जायसवाल शामिल थे. इन सबकी उम्र 25 से 30 साल के बीच बताई जा रही है. ये सभी उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के निवासी थे. हालांकि, पांचवें मृतक संजय जायसवाल के बारे में कोई ख़ास जानकारी उपलब्ध नहीं है.
गाज़ीपुर ज़िला मैजिस्ट्रेट आर्यका अखौरी ने कहा कि प्रशासन मृतकों के परिवार से संपर्क में है.
अख़बार के अनुसार, इनमें से सोनू जायसवाल का चक जैनब और अलावलपुर में घर था, लेकिन फ़िलहाल वो वाराणसी में रह रहे थे. विशाल शर्मा भी अलावलपुर के रहने वाले थे. वहीं, राजभर चक जैनब गांव के निवासी थे और कुशवाहा गाज़ीपुर के नोनहारा इलाके के धरवा में रहते थे.
सोनू जायसवाल पेशे से व्यवसायी थे. विशाल शर्मा एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे. वहीं राजभर और कुशवाहा मिलकर गाज़ीपुर में एक जन सेवा केंद्र चला रहे थे.
सोनू जायसवाल के पिता राजेंद्र जायसवाल ने अख़बार को बताया कि सोनू और उनकी पत्नी रागिनी तीन बच्चों के साथ हाल ही में वाराणसी शिफ़्ट हुए थे. दोनों का सबसे छोटे बच्चा 18 महीने का है.
राजेंद्र जायसवाल ने कहा, “मुझे पता लगा कि जब हादसा हुआ उस समय सोनू फ़ेसबुक लाइव कर रह थे. सोशल मीडिया पर उसका प्लेन के अंदर का एक वीडियो शेयर हो रहा है. मुझे इसकी जांच करनी होगी.”
“शनिवार को मैंने सोनू की पत्नी को फ़ोन कर के बेटे के बारे में पूछा था. उसने बताया कि सोनू सुरक्षित नेपाल पहुंच गए हैं और जल्द ही वापस लौटेंगे.”

ऐसा कहा जा रहा है कि ये सभी गाज़ीपुर निवासी काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए थे. राजेंद्र जायसवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “सोनू काफ़ी समय से पशुपतिनाथ जाने की सोच रहे थे. इसलिए अब उसने अपने दोस्तों के साथ प्लान बनाया.”
चक जैनब गांव के प्रधान विजय जायसवाल ने अख़बार को बताया कि पीड़ित परिवारों को विमान हादसे की जानकारी मीडिया में आई ख़बरों से मिली. उन्होंने कहा कि जब परिवार ने अपने परिजनों को फ़ोन किया तो सभी चारों के मोबाइल बंद थे. उन्होंने बताया कि ये चारों बस से नेपाल गए थे.
अख़बार ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से लिखा है ये चारों शुक्रवार को काठमांडू पहुंचे थे और पोखरा में पैराग्लाइडिंग करने की योजना बनाई थी. दक्षिणी नेपाल के सरलही ज़िले के निवासी अजय कुमार शाह ने पीटीआई को बताया, “हम सब एक ही वाहन से आए थे. वो लोग पोखरा से गोरखपुर के रास्ते भारत वापस जाने की योजना बना रहे थे.”
श्रीलंका दौरे पर क़र्ज़ को लेकर ‘सकारात्मक‘ संदेश देंगे एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को श्रीलंका का दौरा करने वाले हैं. इस दौरे पर भारत का एजेंडा पड़ोसी मुल्क को क़र्ज़ के मुद्दे पर “सकारात्मक” संदेश देने का होगा. अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने श्रीलंका दौरे पर विदेश मंत्री के एजेंडे के बारे में ख़ास ख़बर प्रकाशित की है.
सरकार के सूत्रों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि आर्थिक संकट से निपटने में “श्रीलंका को मदद” देने के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, मुद्रा विनिमय व्यवस्था के साथ ही कर्ज़ के नियम-शर्तों को नया रूप देने पर चर्चा होगी. एस. जयशंकर के दो दिवसीय दौरे पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है.
दरअसल, श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से आर्थिक मदद सुरक्षित करने के साथ ही चीन, जापान और भारत से वित्तीय आश्वासन पाने की कोशिश कर रहा है.
अख़बार ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है, “श्रीलंका की ज़रूरतों पर भारत की तरफ़ से सकारात्मक रुख की उम्मीद है, जैसा उसने पिछले साल किया था.” भारत ने बीते साल गंभीर आर्थिक संकट में डूबे श्रीलंका को क़र्ज़, क्रेडिट लाइन सहित कुल 4 अरब डॉलर की सहायता दी थी.
इसके अलावा दो अन्य एमओयू पर चर्चा संभव है. पहला त्रिंकोमाली विकास परियोजना और लंबे समय से लटकी एक क्रॉस-स्ट्रेट ट्रांसमिशन लाइन की योजना, जिसकी मदद से श्रीलंका नेपाल, भूटान और बांग्लादेश देशों के साथ भारत के ऊर्जा ग्रिड तक पहुंच सकेगा.
हालांकि, कई सूत्रों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि श्रीलंका को मौजूदा वित्तीय संकट में मदद देना एस जयशंकर के दौरे की प्राथमिकता होगी, लेकिन इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की भी उम्मीद है. श्रीलंका में छह महीने पहले सरकार बनी थी. उसके बाद ये एस. जयशंकर का पहला श्रीलंका दौरा है.
इस बीच, राजनयिक सूत्रों ने द हिंदू को बताया कि भारत से “लिखित वित्तीय आश्वासन” के रूप में समर्थन श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि ये आर्थिक संकट से निपटने के लिए दूसरे लेनदारों से मदद लेने में कारगर होता है.
विदेश मंत्री जयशंकर के दौरा की घोषणा करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने बीते सप्ताह कहा था कि उनकी सरकार ने 22 विकसित देशों वाले ‘पेरिस क्लब’ सहित सभी क़र्ज़दाताओं से ऋण के नियम-शर्तों में बदलाव की ज़रूरत पर चर्चा की है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बीते सप्ताह कारोबारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे दो बड़े क़र्ज़दाता जापान और पेरिस क्लब ने मदद के लिए रुचि दिखाई है. हमने भारत और चीन के साथ भी वार्ता शुरू कर दी है. चीन के एक्ज़िम बैंक के साथ हाल ही में चर्चा हुई कि क़र्ज़ के नियमों को किस तरह से बदला जाए. चीन इस पर त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार है.”
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के पास अब ‘एकमात्र’ विकल्प अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से तीन अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के तौर पर मदद पाना है. इसके अलावा एशिया डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) से भी पैकेज मिलने की उम्मीद है.
ट्रेड यूनियन के साथ एक अन्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति विक्रमसंघे ने कहा, “19 जनवरी को भारत के विदेश मंत्री के श्रीलंका आने की उम्मीद है और इस दौरान हम भारत के साथ ऋण के नियम-शर्तों में बदलाव पर वार्ता जारी रखेंगे.”
इससे पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्ट्रीय विभाग में उपमंत्री चेन झोऊ ने भी राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से मुलाकात की थी. इस वार्ता के बाद श्रीलंका में चीनी दूतावास ने कहा था कि बातचीत “मैत्रीपूर्ण और लाभदायक” रही. चीन ने विक्रमसिंघे के हवाले से ये लिखा कि क़र्ज़ की शर्तों में बदलाव पर वो चीन से सहयोग को लेकर आशान्वित हैं.
श्रीलंका को आईएमएफ़ से बेलआउट पैकेज मिलने की उम्मीद थी, लेकिन क़र्ज़ की शर्तों पर वार्ता में देरी की वजह से दिसंबर की डेडलाइन भी बीत गई. हालांकि, अब श्रीलंका 2023 के पहली तिमाही में सभी क़र्ज़ देने वाले देशों से वार्ता पूरी करने की कोशिश कर रहा है.
हैदराबाद रियासत के आख़िरी निज़ाम के पोते मुकर्रम जाह का निधन, भारत लाया जाएगा शव

हैदराबाद रियासत के आख़िरी निज़ाम रहे मीर उस्मान अली ख़ान के पोते मुकर्रम जाह का शनिवार को तुर्की के इस्तांबुल शहर में निधन हो गया. वो 89 साल के थे.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, मुकर्रम जाह के निधन के साथ भले ही अनौपचारिक ही सही, लेकिन हैदराबाद रियासत का अंत हो गया.
मुकर्रम जाह का पार्थिव शरीर 17 जनवरी को तुर्की से हैदराबाद लाया जाएगा. मुकर्रम जाह के शव को चारमिनार के पास ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में उनके पूर्वजों की क़ब्र के साथ दफ़नाया जाएगा.
साल 1933 में पैदा हुए मुकर्रम जाह तुर्की चले गए थे और वहीं रह रहे थे.
मुकर्रम जाह के परिवार ने कहा है कि उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी जानकारी जल्द ही बताई जाएंगी.
शिक्षा और गरीबों को दवाइयां उपलब्ध कराने के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के मद्देनजर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चेंद्रशेखर राव ने जाह को राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-ख़ाक करने का निर्देश दिया.
मुकर्रम जाह का जन्म मीर हिमायत अली ख़ान उर्फ आज़म जाह बहादुर के घर हुआ था, जो हैदराबाद रियासत के सातवें निज़ाम मीर उस्मान अली खान के पुत्र थे. हैदराबाद रियासत का वर्ष 1948 में भारतीय संघ में विलय हो गया था.