देश

आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बाड़ी द्वारा 87 वी त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव का आयोजन किया।

Spread the love

रिपोर्ट जयसिंह धौलपुर

ओम शांति

16, फरवरी2023 बाड़ी धौलपुर

आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बाड़ी द्वारा 87 वी त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव का आयोजन भ्राता नीरज कुमार भारद्वाज एडीजे बाड़ी एवं भ्राता एवं भ्राता अजय कुमार जी एसी जीएम बाड़ी कोर्ट की मुख्य अतिथि में तथा राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी अंबिका वेन की अध्यक्षता में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भ्राता कुमार भारद्वाज एवं अजय कुमार जी तथा समस्त बीके भाई बहनों द्वारा शिव ध्वजारोहण कर किया गया। भ्राता नीरज कुमार भारद्वाज जी ने कहा कि आज मैं यहां पहली बार आया हूं और जहां मुझको शांति का अनुभव हुआ है मैं यहां से एक नई ऊर्जा लेकर जा रहा हूं भ्राता भ्राता अजय कुमार जी ने अपने शुभकामना संदेश मैं कहा की सभी बी के भाई बहन ने इस समाज की बहुत बड़ी सेवा कर रहे शांति की स्थापना में इनका अहम योगदान है।

ब ब्रह्मा कुमारीज बाड़ी की संचालिका बीके अंबिका बहन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि आज आप सबको हमारे भारत की एक अनोखी व अनसुनी कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने कवि सुनी नहीं होगी हम सब जानते हैं कि भारत देश सब देशों से उत्तम है भारत देश को सर्वोच्च तीर्थ स्थल माना जाता है भारत देश देवभूमि कहलाता है एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत देश की इतनी महिमा क्यों है भारत इतना उच्च क्यों है दरअसल यह भारत देश स्वयं परमपिता परमात्मा की जन्मभूमि है जा परमात्मा अवतरित होकर अनेक अधर्म का विनाश कर धर्म अर्थात आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना करते हैं वह कैसे आज हम आपको बताते हैं आज आपको भारत की 5000 साल की कहानी सुनाते हैं एक समय था जब हमारा भारत देश सुख समृद्धि से संपन्न था चारों ओर खुशहाली और निस्वार्थ प्रेम का वातावरण था ऐसा निस्वार्थ प्रेम जो शेर और बकरी जैसे प्राणी भी इकट्ठे नदी पर जल पीते थे आपस में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं थी या रहने वाले हर एक मनुष्य देवी गुणों से संपन्न संपूर्ण निर्भय कारी व 16 कला संपूर्ण थे या रहने वाले मनुष्य देवी व देवता कहलाते थे जिनकी आयु 150 वर्ष की होती थी और 8 जन्म होता था इन देवताओं को सूर्यवंशी कहा जाता था इस युग की आयु भी 1250 वर्ष थी।

के कार्यक्रम में बीके सत्य प्रकाश भाई ने शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फागुन मास की अमावस्या के 1 दिन पूर्व बड़े ही आस्था के साथ मनाया जाता है इस दिन शिवलिंग को विशेष आराधना की जाती है एवं इस पर बेलपत्र धतूरा जल वीर इत्यादि फल फूल चढ़ाए जाते हैं भक्तजन खाद्य पदार्थ जैसे भांग एवं गांजा का सेवन प्रसाद के रूप में करते हैं इस दिन शिव की बारात भी निकाली जाती है जिसमें सभी प्रकार के व्यक्ति और प्राणी सम्मिलित होते हैं महाशिवरात्रि के अवसर पर व्रत करने तथा रात्रि में जागरण करके आराधना करने को भी परंपरा भक्तजनों में प्रचलित है परंतु शिव कौन है शिव के लिए लिंग्या ज्योतिर्लिंग शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है शिव के साथ रात्रि का क्या संबंध है कृष्ण के साथ अष्टमी और राम के साथ नवमी तिथि जुड़ी हुई है परंतु सिर्फ के साथ रात्रि ही जुड़ी है कोई तिथि क्यों नहीं जुड़ी है सिर्फ के साथ शालिग्राम कौन हैं अन्य सभी देवताओं पर अच्छे और स्वादिष्ट प्रसाद चढ़ाए जाते हैं परंतु से पक्का फूल और धतूरा ही क्यों चढ़ाया जाता है क्योंकि शिव की मूर्ति शरीर रहे थे परंतु उनका वाहन नंदी शरीर धारी क्यों है इत्यादि शिवरात्रि से जुड़े प्रश्नों पर विवेकी और यथार्थ ढंग से वर्तमान परिस्थितियों में चिंतन करने की आवश्यकता है तभी महाशिवरात्रि के पर्व को यथार्थ ढंग से मना कर संसार को सही दिशा दी जा सकती है एवं मानव मन में व्याप्त अज्ञानता और सतोगुण आसुरी संस्कारों का समन किया जा सकता है।

बीके अलकाबेन आगरा ने सभी भाई बहनों को राजयोग का अभ्यास कराया तथा बताया कि बिना राज्यों के हम एकाग्रता पा नहीं सकते राजीव हमारे जीवन का आधार है।

बीके रेनू बैन ने अपने शिवरात्रि की सभी भाई बहनों को बहुत-बहुत बधाई दी शुभकामनाएं दी उन्होंने कहा कि सभी महान विभूतियों को स्मृति को बनाए रखने के लिए उनके स्मारक चिन्ह मूर्तियां अथवा मंदिर आदि बनाए जाते हैं परंतु संसार में सब मूर्तियों में सर्वाधिक पूजा संभवत शिवलिंग को ही होती है।

बी के के प्रीति बहन, बीके राखी बहन ,तथा बी के मनीषा बहन ने सभी का तिलक भेज तथा पट्टा पहनाकर सभी को स्वागत किया गया।

तृप्ति बहन द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया तथा आशिकी आशिकी मैंने बहुत ही सुंदर रंगोली सजाई तथा कार्यक्रम में हनुमान मंदिर के महंत विजेंद्र गोस्वामी जी ने भी अपना शुभकामना प्रेषित की कार्यक्रम में सभी पत्रकार बंधुओं का पट्टा पहनाकर सम्मान किया गया तथा अंत में सभी को टोली व साहित्य वितरित किया गया कार्यक्रम में दिलीप भाई कृष्ण शुभम सुनीता,शांति माताजी मीरा माताजी तथा अनेक भाई बहनों ने हिस्सा लिया। ओम शांति

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button