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उस रस्म को मिटाया जाए जो मासूमीन के संदेश के खिलाफ है: मौलाना सय्यद शमीमुल हसन

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रिपोर्ट -मुस्तफा अली खान डिस्ट्रिक्ट हेड बहराइच

लखनऊ: गोलागंज स्थित संस्था तनज़ीमुल मकातिब परिसर में दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी आज की बैठकें हुई जिसमें देश के प्रसिद्ध उलमा, शख्सियात और बुद्धिजीवी ने सभा को सम्बोधित किया।
सम्मेलन की शुरुआत मौलवी मीसम रज़ा मूसवी छात्र जामिया इमामिया ने पवित्र कुरआन से की।


संस्था तनज़ीमुल मकातिब के संयुक्त सचिव मौलाना फिरोज़ अब्बास ने कहा कि मौलाना सय्यद गुलाम अस्करी जिनकी याद हम लोग यहां जमा हैं वह कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे बल्कि जिनके दिल में कौम का दर्द था वह उस समय थे जब उनकी खिताबत बुलंदियों पर थी लेकिन उन्हें कौम का दर्द था इसलिए उन्होंने संस्था की स्थापना की और संस्था आज तक उनका संदेश फैला रहा है।
संस्था तनज़ीमुल मकातिब के अध्यक्ष मौलाना सय्यद शमीमुल हसन ने कहा कि जिस प्रक्रिया के लिए मासूम चुप रहे हों वह हमारे लिए सही है और हम इस पर तेज़ी न करें कि हर रस्म को मिटाया जाए हम इस बात पर गौर करें कि उस रस्म को मिटाया जाए जिसके खिलाफ किसी मासूम का संदेश मौजूद हो तो वह रस्म हमारे लिए सही नहीं है।
संगठन के सचिव मौलाना सैयद सफी हैदर अल-मकतब ने अंत में विद्वानों, कवियों, हस्तियों और विश्वासियों का धन्यवाद किया ।
संस्था तनज़ीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सय्यद सफी हैदर अंत में आए हुए उलमा, शोअरा बुद्धिजीवी और मोमिनीन का शुक्रिया अदा किया।
मौलाना ने मीडिया का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मीडिया ने इस कार्यक्रम में हमारा बहुत समर्थन किया जो हम मोमिनीन तक नहीं पहुंचा सकते हैं उस बात को मीडिया ने मोमिनीन तक पहुंचाया है।
मौलाना ने कहा कि मैं सभी पत्रकारों का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने अपना कीमती समय हमको दिया और हमारे कार्यक्रम को मोमिनीन तक पहुंचाया।

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